राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने वेनागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश किए जाने के बाद जारी चर्चा के दौरान राज्यसभा टीवी ने थोड़ी देर के लिए सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण रोक दिया था. जब गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पेश करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार असम के लोगों का संरक्षण करेगी तब विपक्ष की बेंच से एक सांसद बीच में बोलने लगे. तभी सभापति वेंकैया नायडू ने उन्हें सदन की कार्यवाही न रोकने की चेतावनी दी और कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा और न ही इसे दिखाया जाना चाहिए.

गृह मंत्री अमित शाह जब सभा में असम अकॉर्ड के क्लाउज 6 के तहत गठित कमिटी की रिपोर्ट को लेकर चर्चा कर रहे थे, तभी पक्ष की तरफ से एक सांसद की आवाज आई कि ‘यह (अमित शाह जो बता रहे हैं) भ्रामक है…’ सभापति ने शाह को बीच में टोकने वाले विपक्षी सांसद से कहा कि उनका व्यवहार सही नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यह आचरण गलत है, कृपया बैठ जाइए. यह रिकॉर्ड पर नहीं जाएगा. इसे दिखाया भी नहीं जाना चाहिए.’

राज्यसभा सभापति ने कहा, ‘कुछ भी नहीं दिखाया जाना चाहिए’ सभापति के दोबारा बोलने के बाद 4-5 सेकंड के अंदर राज्यसभा का लाइव टेलिकास्ट रोक दिया गया. उसके बाद 20-22 सेकंड तक रुकने के बाद सदन की कार्यवाही का दोबारा सीधा प्रसारण शुरू हुआ. उस वक्त भी अमित शाह ही बोल रहे थे. आपको बता दें कि जब राज्य सभा में सभापति रेड लाइट बटन दबाते हैं तो इसका संदेश होता है कि टेलिकास्ट रोक दिया जाए.

दरअसल, अमित शाह नागरिकता बिल पर बोलते हुए असम की चर्चा करने लगे. आगे उन्होंने चर्चा में कहा कि 1985 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम अकॉर्ड किया था जिसमें असम के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई पहचान और चुने हुए फोरमों में उनके प्रतिनिधित्व के अधिकार के संरक्षण के लिए क्लॉज 6 बनाया गया था. कॉल्ज 6 के अंदर एक प्रावधान था कि इस क्लॉज के जरिए भारत सरकार एक कमिटी गठित करेगी जो असम को मूल निवासियों की पहचान और उनके अधिकारों के संरक्षण सुनिश्चित कने कहा, ‘1985 से लेकर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक क्लॉज 6 की कमिटी ही नहीं बनी. जब मोदी पीएम बने तब जाकर यह कमिटी बनाई गई।’