मध्यप्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गयी है. सिंधिया के इस्तीफा के बाद मध्यप्रदेश के कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का जाना लगभग तय माना जा रहा है. मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता रहे माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में हलचल मचा दी है. सिंधिया को कांग्रेस को कद्दावर नेता माना जाता था अब उनके पार्टी छोड़ने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. सिंधिया के साथ उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद से कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छा गये हैं.

जानकारी के लिए बता दें सिंधिया कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. सूत्रों के अनुसार ये भी कहा जा रहा है कि सिंधिया को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. साथ ही एमपी में भाजपा अपना बहुमत साबित करके सरकार बना सकती है. इस सियासी हलचल के बीच सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिरकार मध्यप्रदेश में सत्ता पलटने में किस का हाथ है? कौन है वो शख्स जिसने कांग्रेस की सरकार को हिला दिया. दरअसल मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट करने की फिराक काफी पहले से चल रही थी लेकिन पार्टी के संगठन को एक मजबूत सिपाही की जरुरत थी जोकि ऐसी बिछात बिछाए जो कांग्रेस को तोड़ने में कामयाब हो जाए.

भाजपा ने जिस नेता पर दाव लगाया उसने कांग्रेस को तोड़ने में कामयाबी हासिल कर ली है. यह नेता कोई और नहीं बल्कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर है. जमीन से जुड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर का मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में काफी प्रभाव है. कांग्रेस के ज्यादातर विधायक इन्ही के संभाग से आते हैं. जिनके चलते कमलनाथ सरकार संकट में आ गयी और सरकार का तख्ता पलट कर दिया.

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री के एक करीबी ने बताया है कि भाजपा की नयी सियासत की बिसात बिछाने के सूत्रधार नरेंद्र सिंह तोमर ही थे. वह हमेशा से ही मध्यप्रदेश में जमीनीस्तर से सक्रीय रहे हैं. ग्वालियर के मुरार में 1957 में पैदा हुए तोमर ने छात्र नेता के रूप में ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. यही वजह है कि उनकी संगठन में मजबूत पकड़ है. इस संभाग में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की है. ग्वालियर सिंधिया परिवार का काफी समय से गढ़ रहा है.