देश में कोरोना वायरस के मामलों तेजी से बढ़ रहे है. आपको बता दें कि अब तक मरीजों की संख्या पांच हजार के पार पहुंच चुकी है. अब तक देश में इसके 6412 केस सामने आ चुके हैं. वहीं 199 लोगों की इससे मौत हो चुकी है. साथ ही बता दें कि 450 लोग इलाज के बाद रिकवर भी हो चुके हैं.

इसी को लेकर अब बड़ा सवाल ये है कि क्या 15 अप्रैल से यात्री गाड़ियां पटरी पर दौड़ने लगेंगी और क्या इसके लिए रेलवे ने कोई कोविड प्रोटकॉल तैयार किया है? रेलवे के राष्ट्रीय प्रवक्ता डीजे नारायण ने एक चैंनल से बात करते हुए कहा कि इस सम्बंध में किसी भी तरह का कोई भी निर्णय अभी नहीं हुआ है.

वहीं रेल मंत्रालय के एग्जीक्यूटिव ड़ाईरेक्टर आरडी वाजपेयी ने कहा है कि लॉकडाउन के तुरंत बाद ट्रेनों को चलाए जाने सम्बंधी कोई भी अंतिम फ़ैसला केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के निर्देशों और उनके कोविड सम्बंधी स्वास्थ्य आंकलन और ज़रूरतों के अनुसार किया जाएगा. यानी राज्य सरकारें केंद्र सरकार को अपने-अपने राज्यों के हालात और ज़रूरतें बताएंगी उसके बाद केंद्र सरकार ये फ़ैसला लेगी कि किन राज्यों में ट्रेनों को चलाने से कोरोना फैलने का ख़तरा नहीं है.

सभी यात्री गाड़ियां एक साथ चलाना सम्भव नहीं
आपको बता दें कि रेलवे रोज़ाना 12 हज़ार यात्री गाड़ियां चलाती है जिनमें एक लाख कर्मचारी ऑनबोर्ड काम करते हैं लेकिन हक़ीक़त ये है कि इतने कर्मचारियों के लिए पर्सनल प्रटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई ) उपलब्ध नहीं है. ऐसे में 14 तारीख़ के तुरंत बाद सभी यात्री गाड़ियां चलाना रेलवे के लिए एक बड़ी चुनौती है.
ट्रेन चलाने के लिए रेलवे को चाहिए सिर्फ़ चार घंटे की मोहलत

वहीं रेलवे बोर्ड के पूर्व सलाहकार सुनील कुमार का कहना कि भारतीय रेल नेटवर्क इतना सक्षम है कि महज़ चार घंटों की मोहलत पर भी यात्री गाड़ियां चला सकता है. दरअसल, रेलवे के इंफ़्रास्ट्रक्चर के अलावा उसे पटरियों के रखरखाव से लेकर सिग्नलिंग आदि तक पर जो कार्य करना होता है उसके लिए अगर कर्मचारी काम पर मौजूद हैं तो सिर्फ़ चार घंटे में सभी सुरक्षा मानक पूरे किए जा सकते हैं. ऐसे में सवाल रेलवे की क्षमता का नहीं बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य सम्बंधी सुरक्षा और सरकारी दिशा निर्देशों का है।